दर्शनम् (हिन्दी-संस्कृत द्विभाषी शोध-पत्रिका)
शोध-आलेख प्रस्तुतिकरण एवं प्रकाशन-नीति
- टंकण:सभी पांडुलिपियों को Microsoft Word में, इंडस्क्रिप्ट मंगल (फ़ॉन्ट आकार 12) या कृति देव 010 में, संस्कृत/हिन्दी के लिए फान्ट आकार16, और अंग्रेजी के लिए फ़ॉन्टटाइम्स न्यू रोमन, आकार 12 में स्पष्ट रूप से टाइप किया जाना चाहिए।
- स्पेसिंग एवं मार्जिन:ए 4 पेपर पर डबल स्पेस और एक इंच पृष्ठ मार्जिन में टाइप किया गया।
- सार-संक्षेप: प्रत्येक पांडुलिपि के लिए 250-300 (अधिकतम) शब्दों में एक सार-संक्षेपभी दें।
- प्रमुख शब्द:शोध केन्द्रित 4-5 मुख्य शब्दों को दर्शाएं
- शीर्षक:शोध-पत्र का शीर्षक बोल्ड होना चाहिए, शोध-पत्र पांडुलिपि के सभी पन्नों को पृष्ठ के नीचे मध्य मेंक्रमांकित किया जाना चाहिए।
- मुख्य शोध-पत्र में शीर्षक के बाद दाहिने कोने पर लेखक का नाम, संबद्धता, संपर्क नंबर और ई-मेल पता होना चाहिए।
- शोध -पत्र की शब्द सीमा2500-3000 शब्दों में होनी चाहिए।
- संदर्भ के बिना या अधूरे संदर्भ के लेख वाले शोध-पत्र पर विचार नहीं किया जाएगा।
- शोध-पत्रलेखक को निर्धारित घोषणा-प्रारूप देना होगा किप्रस्तुतशोध लेखक के मूल कार्य हैं और उन्हें प्रकाशन के लिए कहीं और प्रस्तुत नहीं किया गया है।
- संपादक किसी भी पांडुलिपियों को टॉपिक, स्टाइल या फॉर्म मेंअनुपयुक्त के रूप में रहने से या विषय/प्रस्तुति आदि सम्बन्धी आधार पर बिना मूल्यांकन किये ही अस्वीकार करने का अधिकार सुरक्षित रखता है।
- सभी शोध पत्रों की ब्लाइंड समीक्षा दो विषय विशेषत्रों से करवाई जाएगी।समीक्षा हेतु, समीक्षकों को शोध-लेखक और उसकी संबद्धता के बारे में कोई जानकारी नहीं दी जाती है। सम्पादकों द्वारा यासमीक्षकों द्वारा दिये गए सुझाव या आवश्यक परिवर्तनों को करने की जिम्मेदारी लेखक की होगी ।
- उपरोक्तानुसार निर्धारित स्टाईल मानकों के अनुसार तैयार शोध-पत्रों को ई-मेल के माध्यम से भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद् के प्रकाशनार्थ भेजा जा सकता है। ई-मेल के माध्यम से इसे प्रबन्ध-संपादक के प्रति darshanam.icpr@gmail.com darshanam@icpr.in या हार्ड कॉपी कोप्रबन्ध संपादक – ‘दर्शनम्’, भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, दर्शन भवन, 36, तुगलकाबाद इंस्टीट्यूशनल एरिया, महरौली बदरपुर रोड, बत्रा अस्पताल के पास, नई दिल्ली – 110 062 के प्रति भेजा जा सकता है।